शहजादे का सिर कलम कराया और फिर कैसे मारा दारा शिकोह को ? | How Aurangzeb Killed Dara Shikoh

 

How Aurangzeb Killed Dara Shikoh

दारा शिकोह, मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का सबसे बड़ा बेटा, एक समय में मुग़ल सिंहासन का उत्तराधिकारी था। उनकी उदारवादी दृष्टिकोण, सूफीवाद के प्रति प्रेम और हिंदू और इस्लामी दार्शनिकताओं को एकजुट करने के प्रयासों ने उन्हें उनके कट्टर भाई औरंगजेब के लिए खतरा बना दिया। 


लेकिन दारा शिकोह की त्रासद मौत कैसे हुई? और क्यों औरंगजेब ने उनकी हत्या का आदेश दिया? आज हम इस नृशंस कहानी का अन्वेषण करेंगे, जिसमें दारा की हत्या की योजनाएँ, उनके साथ हुए विश्वासघात, और उनकी क्रूर हत्या का विवरण शामिल है।


दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच की दुश्मनी बचपन से ही शुरू हो गई थी। औरंगजेब को हमेशा से यह नहीं पसंद था कि दारा बादशाह बने। दारा शिकोह का एक बहुआयामी और जटिल व्यक्तित्व था, जो कला और साहित्य में रुचि रखते थे। वहीं दूसरी ओर, औरंगजेब एक कट्टर और युद्धकर्मी थे। उनके बीच का यह अंतर समय के साथ बढ़ता गया और अंततः यह एक भयानक संघर्ष में बदल गया।


शाहजहाँ के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कावेरी तक फैला हुआ था। दारा को एक ऐसा उत्तराधिकारी माना गया जो अपने पिता के कार्यों को आगे बढ़ा सके। लेकिन जब शाहजहाँ ने दारा को उत्तराधिकारी घोषित किया, तो औरंगजेब ने इसे अपने लिए अपमान माना। इस अपमान के बाद औरंगजेब ने दारा को समाप्त करने की योजना बनाई।


जब शाहजहाँ बीमार हुए, तो दारा ने उनकी देखभाल की, लेकिन इसी बीच औरंगजेब ने अपने अन्य भाइयों के साथ मिलकर उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू की। इस संघर्ष में, औरंगजेब ने दारा के खिलाफ कई चालें चलीं, जिनमें से प्रमुख थी सामूगढ़ की लड़ाई। इस लड़ाई में दारा की हार ने औरंगजेब के हाथ मजबूत कर दिए और उन्होंने दारा को पकड़ लिया।


दारा शिकोह की हत्या से जुड़ी घटनाओं का विवरण एक भयानक कहानी को उजागर करता है जो न केवल मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस प्रकार सत्ता के लिए संघर्ष ने परिवार के सदस्यों के बीच नफरत को जन्म दिया। औरंगजेब ने दारा के सिर को कलम करने का आदेश दिया और यह एक ऐसा दृश्य था जिसने दिल्ली की जनता को हिलाकर रख दिया।


दारा की हत्या केवल एक व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, बल्कि यह मुग़ल साम्राज्य में धार्मिक और राजनीतिक संघर्ष का भी प्रतीक थी। यह कथा आज भी हमारे समाज में सत्ता, विश्वासघात और परिवार के बीच के रिश्तों के जटिलता को दर्शाती है। आइए, इस कहानी के सभी पहलुओं का गहराई से अध्ययन करें।


दारा और औरंगजेब के बीच की दुश्मनी

दारा शिकोह और औरंगजेब की दुश्मनी की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। दारा, जो एक उदारवादी और धार्मिक रूप से सहिष्णु व्यक्ति थे, को औरंगजेब के कट्टरता से घृणा थी। औरंगजेब ने हमेशा दारा को एक खतरे के रूप में देखा, खासकर जब शाहजहाँ ने दारा को उत्तराधिकारी घोषित किया।


शाहजहाँ की पसंद

शाहजहाँ, जो दारा के प्रति बहुत स्नेह रखते थे, ने उन्हें शिक्षा और संस्कृति के प्रति समर्पित किया। दारा ने उपनिषदों का अनुवाद किया और सूफी परंपराओं को बढ़ावा दिया। वहीं, औरंगजेब को दारा की यह बातें पसंद नहीं थीं। औरंगजेब ने अपने पिता की नजरों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई बार दारा के खिलाफ षड्यंत्र रचे।


उत्तराधिकार की लड़ाई

जब शाहजहाँ बीमार पड़े, तो दारा ने उनकी देखभाल की, लेकिन इसी बीच औरंगजेब ने अपने अन्य भाइयों के साथ मिलकर उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू की।


सामूगढ़ की लड़ाई

1658 में, सामूगढ़ की लड़ाई हुई, जिसमें औरंगजेब ने दारा को हराया। यह लड़ाई न केवल दारा के लिए व्यक्तिगत हार थी, बल्कि यह मुग़ल साम्राज्य के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण थी। औरंगजेब ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया और दारा की सेना को पराजित किया।


दारा की गिरफ्तारी और हत्या

दारा की हार के बाद, औरंगजेब ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दारा को एक कमजोर और छोटी हथनी पर बैठाकर दिल्ली में घुमाया गया, जिससे लोगों को उनकी दुर्गति का पता चल सके।


क्रूरता का प्रदर्शन

औरंगजेब ने दारा को एक इज्जत की मौत देने के बजाय, उन्हें एक दहशत का प्रतीक बना दिया। उन्होंने दारा को सजा दी और उनके सिर को कलम करने का आदेश दिया। यह दृश्य दिल्ली की जनता के लिए एक भयानक झटका था।


दारा की मौत: एक दुखद अध्याय

दारा की हत्या के बाद, औरंगजेब ने उनके सिर को एक तश्तरी में रखकर शाहजहाँ के सामने पेश किया। यह एक ऐसा दृश्य था जिसने शाहजहाँ को गहरा धक्का पहुंचाया। दारा का धड़ हुमायूँ के मकबरे में दफनाया गया, जबकि उनका सिर ताजमहल के प्रांगण में गाड़ दिया गया।


इतिहास का एक क्रूर अध्याय

इस प्रकार, दारा शिकोह की हत्या ने मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में एक क्रूर अध्याय को जन्म दिया। यह कहानी न केवल सत्ता के संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि किस प्रकार व्यक्तिगत द्वेष ने एक परिवार को तोड़ दिया।


तालिका: मुठभेड़ और प्रमुख घटनाएँ

तारीख घटना
1657 शाहजहाँ की बीमारी और उत्तराधिकार की लड़ाई की शुरुआत
1658 सामूगढ़ की लड़ाई, दारा की हार
31 अगस्त 1659 दारा शिकोह की हत्या


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • दारा शिकोह कौन थे?
    दारा शिकोह, मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का सबसे बड़ा बेटा और उत्तराधिकारी थे।
  • औरंगजेब ने दारा को क्यों मारा?
    औरंगजेब ने दारा को अपने लिए खतरा समझा और उन्हें समाप्त करने का निर्णय लिया।
  • दारा की हत्या कैसे हुई?
    दारा को पकड़कर उन्हें दिल्ली में घुमाया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई।
  • दारा की मौत का क्या असर हुआ?
    दारा की मौत ने मुग़ल साम्राज्य में शक्ति संतुलन को बदल दिया और औरंगजेब को सम्राट बना दिया।


निष्कर्ष

दारा शिकोह की कहानी न केवल व्यक्तिगत दुश्मनी का एक उदाहरण है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष का भी प्रतीक है। उनकी हत्या ने मुग़ल साम्राज्य में एक नया अध्याय खोला, जो न केवल दारा के लिए, बल्कि पूरे साम्राज्य के लिए एक दुखद और क्रूर घटना थी। 


यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सत्ता के लिए संघर्ष कितनी भयानक हो सकती है। दारा शिकोह की त्रासदी एक चेतावनी है कि परिवार के भीतर का द्वेष और राजनीतिक महत्वाकांक्षा कभी-कभी सबसे भयानक परिणाम ला सकती है।

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